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नवंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दार्चुला नेपाल राजा कमान बहादुर पाल का स्मृति ग्रंथ

अस्कोट स्थित राजा अभय पाल का महल

अस्कोट स्थित कुलदेवता मलिकार्जुन महादेव का मंदिर

हरिहरपुर बेलडूहा स्थित कुलदेवता महादेव का मंदिर

    कुलदेवता बाबा हरिहर नाथ महादेव जी का मंदिर हरिहर पूरा अध्यक्ष कुंवर हरिहर प्रसाद पाल देव इच्छा के अनुरूप उनकी धर्मपत्नी शोहरतगढ़ स्टेट की राजकुमारी राजमाता सरफराज कुंवर द्वारा निर्मित बेलडूहां हरिहरपुर स्थित

राज्य चिन्ह महुली महसो राज

कुर्सी नामा महुली महासू राज

कत्यूरी राजा

राजा कैलाश नाथ बहादुर पाल महुली महासू राज

कुंवर चंद्रिका बक्स पाल देव जी एवं उनके भतीजे कुंवर गजपति प्र प्रसाद पाल देव जी

राजमहल महुली महशो राज

Generation of alkh dev

Generation of alkh dev

बस्ती जनपद के अमो रा खास राजा अभय पाल देव के वंशज

 [21/11, 06:54] Akhilesh Bahadur Pal: पाल एक उपनाम है, वे कत्यूरी शाखा के विशुद्ध सूर्यवंशी हैं। महादेव इनके आराध्य हैं। उत्तर प्रदेश में बसे पाल और सूर्यवंशी उपनाम वाले क्षत्रिय इसी कत्यूरी वंश की शाखा हैं और कुमाऊँ-गढ़वाल से आ कर उ•प्र• में बसे। बस्ती जिले के अमोढ़ा राज और महसों राज एवं बाराबंकी का हड़हा राज  इसी वंश के हैं।  पाल सूर्यवंशियों की प्रथम स्वतंत्र संग्राम में अति महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनकी संख्या शेष वंशों की तुलना में बहुत कम है. उत्तर प्रदेश में इन्हें क्षत्रियों में सबसे उच्च वर्ण का माना जाता है ! [21/11, 06:54] Akhilesh Bahadur Pal: कुछ कथायंे कहती हैं कि प्रत्येक राजपूत वंश अवध से सम्बद्ध थी। इसी प्रकार महुली महसों की भांति अमोढ़ा के कायस्थ को एक दूसरे सूर्यवंशी द्वारा अलग निकाल दिया गया था। इनके मुखिया कान्हदेव थे जो उस क्षेत्र के कायस्थ जमींदार को भगाकर स्वयं को स्थापित किये थे। इसमें उन्हें आंशिक सफलता मिली थी। उनका पुत्र कंशनाराण पूर्वी आधा भूभाग कायस्थ राजा से प्राप्त कर लिया था। उनके उत्तराधिकारी ने बाकी बचे हुए भाग को जीतकर पूरा अमोढ़ा को अपने अ...

सूर्यवंश एवं कत्यूरी सूर्यवंशी

[06/10, 16:23] Akhilesh Bahadur Pal: रोहतासगढ़ किले से सम्बन्धित 12 वीं सदी से पहले का कोई शिलालेख तो नहीं मिलाता, लेकिन विभिन्न इतिहासकारों के मुताबिक इस किले पर कभी कछवाह क्षत्रिय वंश का शासन था और इसी वंश के रोहिताश्व ने इस किले का निर्माण करवाया था। रोहिताश्व के नाम पर इस किले का नाम रोहतासगढ़ पड़ा। इतिहासकार देवीसिंह मंडावा अपनी पुस्तक राजपूत शाखाओं का इतिहास के पृष्ठ- 219 पर लिखते है- ‘‘सूर्यवंश में अयोध्या का अंतिम शासक सुमित्र था। जिसे लगभग 470 ई.पूर्व मगध देश के प्रसिद्ध शासक अजातशत्रु ने परास्त करके अयोध्या पर अधिकार कर लिया। अयोध्या पर शासन समाप्त होने के बाद सुमित्र का बड़ा पुत्र विश्वराज पंजाब की ओर चले गए छोटा पुत्र कूरम अयोध्या क्षेत्र में ही  रहे इसी के नाम से इसके वंशज कूरम कहलाये। बाद में कूरम ही कछवाह कहलाने लगे। इसी वंश का महीराज मगध के शासक महापद्म से युद्ध करते हुए मारा गया था। मगध के कमजोर पड़ने पर कूरम के वंशजों ने रोहितास पर अधिकार कर लिया। रोहितास का प्रसिद्ध किला इन्हीं कूरम शासकों का बनवाया हुआ है।’’ कर्नल टॉड लिखते हैं कि ‘‘महाराजा कुश के कई पीढ़ी बाद उसी के ...

मल्लिकार्जुन महोत्सव अस्कोट

 अस्कोट में बाबा सूरज दास सूर्यवंशी  द्वारा अस्कोट का इतिहास पुस्तक कााा विमोचन किया गया मल्लिकार्जुन महोत्सव में महुली मह शो राज हरिहरपुुर स्टेट की तरफ से पाल सूर्यवंशी मूल स्टेट अस्कोट म प्रतिभाग किया गया 

अस्कोट मेला

आज जौल जीबी मेले में जिसकी सुरुवात राजा जोगिंदर पाल और राजा महेंद्र पाल ने की थी बाबा सूरज दास सूर्यवंशी द्वारा प्रतिभाग किया गया