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अस्कोट मेला

आज जौल जीबी मेले में जिसकी सुरुवात राजा जोगिंदर पाल और राजा महेंद्र पाल ने की थी बाबा सूरज दास सूर्यवंशी द्वारा प्रतिभाग किया गया

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रंगपाल नाम से विख्यात महाकवि रंग नारायण पाल जूदेश वीरेश पाल

  रंगपाल नाम से विख्यात महाकवि रंग नारायण पाल जूदेश वीरेश पाल का जन्म सन्तकबीर नगर (उत्तर प्रदेश) के नगर पंचायत हरिहरपुर में फागुन कृष्ण १० संवत १९२१ विक्रमी को हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वेश्वर वत्स पाल तथा माता का नाम श्रीमती सुशीला देवी था। उनके पिता जी राजा mahuli राज्य के वंशज थे। वे एक समृद्धशाली तालुक्केदार थे। उनके पिता जी साहित्यिक वातावरण में पले थे तथा विदुषी माँ के सानिध्य का उन पर पूरा प्रभाव पड़ा था। उनकी माँ संस्कृत व हिन्दी की उत्कृष्ट कवयित्री थीं। उनकी मृत्यु ६२ वर्ष की अवस्था में भाद्रपद कृष्ण १३ संवत १९९३ विक्रमी में हुई थी। माताजी से साहित्य का अटूट लगाव का पूरा प्रभाव रंगपाल पर पड़ा, जिसका परिणाम था कि स्कूली शिक्षा से एकदम दूर रहने वाले रंगपाल में संगीत की गहरी समझ थी। वे ‘बस्ती जनपद के छन्दकारों का सहित्यिक योगदान’ के भाग १ में शोधकर्ता डा. मुनिलाल उपाध्याय ‘सरस’ ने पृ. ५९ से ९० तक ३२ पृष्ठों में उनके विषय में विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया है। रंगपाल जी को उन्होंने द्वितीय चरण के प्रथम कवि के रुप में चयनित किया है। वे एक आश्रयदाता, वर्चस्वी संगीतकार तथा महान क...

Katyuri Raza zalim singh

 Zalim Singh was born in 1723 in the village of Amorha, which is now located in Basti district, Uttar Pradesh. He belonged to the Suryavanshi Rajput clan, which is one of the most powerful Rajput clans in India. Zalim Singh's father, Raja Chhatra Singh, was the ruler of Amorha. Zalim Singh received a military education from a young age. He was a skilled horseman and swordsman. He also excelled in archery and shooting. Zalim Singh quickly rose through the ranks of the Amorha army. He became a general at a young age. The founder of the Amorha Suryavansh state in Basti was Raja Chhatra Singh. He was the father of Raja Zalim Singh, who was one of the most powerful Rajput rulers in Indian history. Chhatra Singh was born in 1685 in the village of Amorha, which is now located in Basti district, Uttar Pradesh. He belonged to the Suryavanshi Rajput clan, which is one of the most powerful Rajput clans in India. Chhatra Singh's father, Raja Uday Pratap Singh, was the ruler of Amorha. Chha...

कठायत और कठैत

  ये काशी नरेश जयचंद  के वंशज चौहान वंशीय थे इन्हें वहां से किसी कारणवश देश निकाला हो गया ये कुछ अनुयाइयों सहित कटेहर जिला रामपुर में आ गये  अपना आधिपत्य  बनाया परन्तु इनकी कोई  राजधानी आदि नहीं थी ये बिजनौर मुरादाबाद  से आगे तक व बरेली पीलीभीत  तक अपने दल बल से उगाही करते थे जिससे खिलजी बहुत  परेशान रहता था ये ज्यादा दबाव  पड़ने पर कोटा भाबर की ओर भाग जाते थे बाद में तैमूर  लंग के समय भी ऐसा ही करते रहते थे इनके यहां ही राजा ब्रह्मदेव  की शादी हुई  क्योंकि माल भाबर में राज करने व लोगों को सादने में इनकी बहुत  मदद  मिलती थी और इन्हें छुपने का स्थान भी । इन्हीं का भाई भीका कठैत राजा ब्रह्मदेव का मंत्री या सेनापति था जिसको हाट गांव से ऊपर की ओर टेड़ा गांव से ऊपर तड़कताल तक की सामंती थी  आज भी वहां कठैत या कठायत लोग रहते हैं कथूरिया शासकों के वंशजों का एक हिस्सा आज भी जिला शाहजहाँपुर में रहता है। गोला रायपुर रियासत जो पूरे एसपीएन क्षेत्र की सबसे बड़ी रियासत थी, उस पर राव हरि सिंह का शासन था जो कठेरिया राजपूत भी थे। ...