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गुप्त वंशी राजा महाशिवगुप्त को सिरपुर अभिलेख में चंद्रवंशी क्षत्रिय कहा

 छत्तीसगढ़ के महाराजा महाशिवगुप्त बालार्जुन- सिरपुर के इतिहास का स्वर्णयुग

    महाराजा महाशिवगुप्त बालार्जुन- समय जिनके साथ चलने, बाध्य है

       दोस्तों ,

                     इतिहासज्ञों के मतानुसार महाशिवगुप्त बालार्जुन के सिरपुर उत्कीर्ण लेख से इस वंश की वंशावली की जानकारी प्राप्त होती है। वंशावली  का प्रारम्भ राजकुमार उदयन से होता है। जिनके पश्चात् क्रमशः शक्तिशाली शासक इन्द्रबल हुए , पश्चात् वीर नन्नदेव हुए जिन्होंने शासित क्षेत्र में सभी स्थानों पर शिव मंदिरों का बहुतायत से निर्माण कराया। 

                     


              नन्नदेव  के पश्चात् उनके बाद के चौथे शासक के रूप में शिवगुप्त ने शासन किया। शिवगुप्त धनुर्विद्या में अत्यंत निपुण थे ,अतः उन्हें बालार्जुन की उपाधि से विभूषित किया गया। महाशिवगुप्त बालार्जुन अपने अनेक शिलालेखों और ताम्रपत्रों के कारण प्रसिद्द हैं।

               महाशिवगुप्त बालार्जुन इस वंश के  सर्वाधिक प्रतिभा एवं शक्ति संपन्न , धर्म निरपेक्ष शासक थे  और इन्होंने सुदीर्घ अवधि तक शासन किया। लक्ष्मण मंदिर से लेकर सिरपुर स्थित अन्य सभी स्मारकों का निर्माण भी लगभग इन्हीं के शासन काल में हुआ था।

             इतिहासज्ञों के मतानुसार महाशिवगुप्त बालार्जुन का शासनकाल सिरपुर के इतिहास का स्वर्णयुग माना जाता है।

           सिरपुर पुरातात्विक उत्खनन से यह महत्वपूर्ण बात प्रकाश में आई कि लगभग  6 वीं शती से 10 वीं शती ई 0 के मध्य सिरपुर या तत्कालीन "श्रीपुर "  बौद्ध धर्म का एक बड़ा एवं  महत्वपूर्ण केन्द्र था। खुदाई में बौद्ध बिहार के अवशेष मिलते हैं एवं ततसम्बन्धित मंदिर ,सामग्रियां व् प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं।

                   जैन तीर्थंकरों की भी कुछ प्रतिमाएं प्राप्त हुईं हैं। इस क्षेत्र के उत्खनन में शैव ,वैष्णव ,बौद्ध एवं जैन धर्म से सम्बंधित प्रतिमाएं एवं अवशेष साथ -साथ प्राप्त हुए हैं जो तत्कालीन शासक के सर्व धर्म समभाव की मानसिकता को उजागर करती है।

 -डॉ. अर्चना

मध्य प्रदेश के एक गुप्त वंशी राजा महाशिवगुप्त को सिरपुर अभिलेख में चंद्रवंशी क्षत्रिय कहा गया बिहार में पाए गए ताम्रपत्र अभिलेख में गुप्त उपाधि वाले छह राजाओं का नाम मिलता है यह अपने आप को शैव मता लंबी और अर्जुन का वंशज मानते हैं इन्हें सोमवंशी क्षत्रीय  बताया गया है जावा के एक ग्रंथ तंत्र कामन्दक में  इच्छ वा कु के वन्ससिय महाराज ऐश्वर्या पाल अपने को समुद्र गुप्त परिवार से संबंध बताते हैं गुप्त राजाओं के lichhavi  vakatak से भी वैवाहिक संबंध था


                                                                          लेखक


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