सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कत्यूरी राजवंश गोत्र प्रवेश आदि -

 कत्यूरी राजवंश गोत्र प्रवेश आदि ---👇    ----------------------------------------

 1-  वंश  -  इक्ष्वाकु या सूर्यवंश, रघुवंश

  2 - राजवंश - कार्तिकेयपुर ( कत्यूर ) 

   3- गोत्र  -   कश्यप भारद्वाज शौनक 

   4 - प्रवर  -  पंच प्रवर

   5 - वेद  -   यजुर्वेद 

   6 - ध्वज  -   गोरक्ष

    7  - चिन्ह  -   नादिया ( नंदी ) 

    8 -  वृक्ष  -    वट 

    9  - पक्षी  -   मयूर

    10 - मूल पुरुष   - शालिवाहन देव

     11 -   पदवी  -   महाराजाधिराज परम भट्टारक चक्र चूड़ामणि देव

  12  -  कुलदेवता -   शिव व कार्तिकेय स्वामी भगवान  

   13 -  कुलदेवी के रूप -    कोटभ्रामरी, नंदा- सुनंदा, महाकाली , झाली माली , आगनेरी , माँ मानिला देवी माँ जिया |

  14   -    वाद्मय यंत्र  -  9 मण का नगाणा आदि 

   15 -   कूल गुरु   -   बड़ूशजैपाल (अंगिरस गोत्रीय  जोशी)

   16  -     ढोक   -   जयदेव , जय जिया 

    17  -   पंथ  -   नाथपंथी 

    18  -  संरक्षण  -  वैदिक यज्ञ व मंत्र 

     19  -     निर्माण   -   शिवालय  , शक्ति मठ, सूर्य मंदिर आदि

      20  -   निर्माण शैली पहचान  -  नागर शैली, शीर्ष भाग ( ऊपरी सिरा) आमलक  वर्गाकार , चक्राकार

       21  -   आदर्श वाक्य  -   जय श्री 9 लाख कत्यूरी देवों की जय हो

       22  -   धर्म ध्वज , संप्रदाय  -  शैव शाकत  , वैष्णव , बौद्ध , सौर

      23  -   राजभाषा   -  संस्कृत 

      24    -   बोली  -   पाली 

       25  -    सूर्यवंशी ध्वजा  -   श्वेत एवं लाल   श्वेत ध्वजा पर लाल त्रिशूल लाल ध्वजा पर श्वेत त्रिशूल के साथ  नंदी ( नरंकार का धोतक व गौ वंश उपाक्षक)

      26  -  मूल  निकास  -   अयोध्या नगरी (राजा राम  वंशज  )

       27  -  नाथ पंथ के सिद्धि  -   नरसिंह देव ९ लाख कंथापुरी  महाराज 

       28  -   मंत्र  -   ब्रह्म गायत्री  

        29  -   जनेऊ  -   6 पलली  छ: परिमल 

        30  नदी   ---   सरयू ( अयोध्या ) 

         31  -   मानस खंड केदारखंड नदी जलधारा --   विष्णु गंगा  ( अलकनंदा ), राम गंगा (धामदेव घाट, वृद्ध केदार)   चित्र शीला ( गार्गी नदी ) 

         32  -  कत्यूरी धर्म परायण राजाओं का प्रथम आगमन --  जोशीमठ ( प्रथम राजधानी) 

         33  --   द्वितीय राजधानी -  कार्तिकेय पुर वैजनाथ

         34  --   अंतिम राजधानी  -   सैणमानुर   ( मानुरदेश)  मानिला पालीपछाऊ भूभाग


         35  -  वंशज -  अस्कोट - पाल रजवार , रैका शाही, रैका मल,  चौकोट, सल्ट के मनराल व रजवार

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखण्ड पर लगभग तीन शताब्दियों तक एकछत्र राज किया

 कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखण्ड पर लगभग तीन शताब्दियों तक एकछत्र राज किया. कत्यूरी राजवंश की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने अजेय मानी जाने वाली मगध की विजयवाहिनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. (Katyuri Dynasty of Uttarakhand) मुद्राराक्षस के ऐतिहासिक संस्कृति रचियता लेखक विशाख दत्त ने चंद्र गुप्त मौर्य और कत्यूरी राजवंश  संधि हुई है का विषय में वर्णन किया है चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य संपूर्ण अखंड भारतवर्ष में अंपायर का संघर्षरत विस्तार कर रहे थे | उसे समय मगध डायनेस्टी का हिस्सा ( प्रांत गोरखपुर ) भी रहा है | आज से लगभग 2320 se 2345 साल पहले चंद्रगुप्त का राज था और लगभग ढाई हजार साल पहले शालीवहांन देव अयोध्या से उत्तराखंड आ चुके थे चंद्रगुप्त मौर्य 320 से298  ई0पूर्व का मगध के राजा थे  कत्यूरी राजवंश की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में उभरने का कोई प्रमाणिक लेखा-जोखा नहीं मिलता है. यह इतिहासकारों के लिए अभी शोध का विषय ही है. इस सम्बन्ध में मिलने वाले अभिलेखों से कत्यूरी शासकों का परिचय तो मिलता है लेकिन इसके काल निर्धा...

कठायत और कठैत

  ये काशी नरेश जयचंद  के वंशज चौहान वंशीय थे इन्हें वहां से किसी कारणवश देश निकाला हो गया ये कुछ अनुयाइयों सहित कटेहर जिला रामपुर में आ गये  अपना आधिपत्य  बनाया परन्तु इनकी कोई  राजधानी आदि नहीं थी ये बिजनौर मुरादाबाद  से आगे तक व बरेली पीलीभीत  तक अपने दल बल से उगाही करते थे जिससे खिलजी बहुत  परेशान रहता था ये ज्यादा दबाव  पड़ने पर कोटा भाबर की ओर भाग जाते थे बाद में तैमूर  लंग के समय भी ऐसा ही करते रहते थे इनके यहां ही राजा ब्रह्मदेव  की शादी हुई  क्योंकि माल भाबर में राज करने व लोगों को सादने में इनकी बहुत  मदद  मिलती थी और इन्हें छुपने का स्थान भी । इन्हीं का भाई भीका कठैत राजा ब्रह्मदेव का मंत्री या सेनापति था जिसको हाट गांव से ऊपर की ओर टेड़ा गांव से ऊपर तड़कताल तक की सामंती थी  आज भी वहां कठैत या कठायत लोग रहते हैं कथूरिया शासकों के वंशजों का एक हिस्सा आज भी जिला शाहजहाँपुर में रहता है। गोला रायपुर रियासत जो पूरे एसपीएन क्षेत्र की सबसे बड़ी रियासत थी, उस पर राव हरि सिंह का शासन था जो कठेरिया राजपूत भी थे। ...