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सूर्यवंश का संक्षिप्त इतिहास और परिचय (Suryavansh

History In Hindi)- सूर्यवंश का संस्थापक- इक्ष्वाकु (वैवश्वत मनु के पुत्र). सूर्यवंश के अन्य नाम – आदित्यवंश, मित्रवंश, अर्कवंश, रविवंश आदि. सूर्यवंश का राज्य – कोशल. सूर्यवंश की राजधानी – अयोध्या. सूर्यवंश के प्रथम राजा – सूर्य पुत्र वैवश्वत मनु. सूर्यवंश के अंतिम राजा – सुमित्र. सूर्यवंश का इतिहास (Suryavansh History In Hindi) देखा जाए तो इसमें कई उपशाखाएं हैं जिनमें गहलौत, कछवाह, राठौड़, निकुम्म, श्रीनेत, नागवंशी, बैस, विसेन, गौतम, बड़गुजर, गौड़, नरौनी, रैकवार, सिकरवार, दुर्गवंशी, दीक्षित, कानन, गोहिल, निमी, लिच्छवी, गर्गवंशी, दघुवंशी, सिंधेल, धाकर, उद्मीयता, काकतीय, मौर्य, नेवत्नी, कटहरिया, कुष्भवनीय, कछलिया, अमेठिया, महथान, अंटैया, भतीहाल, कैलवाड़, मडियार बमतेला, बंबवार, चोलवंशी, सिहोगिया, चमीपाल पुंडीर, किनवार, कंडवार और रावत आदि। सूर्यवंशी प्राचीन काल से ही सूर्य अर्थात् सूर्य देवता को अपने कुल देवता के रूप में मानते आए हैं, यह सूर्य की पूजा और अर्चना करते थे। सूर्यवंश की उत्पत्ति और दुनिया की उत्पत्ति एक साथ हुई थी या फिर यह कहा जाए कि सूर्यवंश की उत्पत्ति से ही दुनिया की उत्पत्ति हुई थी, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इक्ष्वाकु इस वंश के प्रथम राजा हो गए इसलिए किस राजवंश (Suryavansh) को इक्ष्वाकु वंश के रुप में जाना जाता हैं। सूर्यवंश (Suryavansh) में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान श्री राम के पिता का नाम दशरथ था, जो अयोध्या के राजा थे। इस वंश की परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को राजा बनना था लेकिन राजा दशरथ ने उनकी तीसरी पत्नी रानी कैकेयी से वादा किया की वह उनके पुत्र भरत को राम की जगह अयोध्या का राजा बनाएंगे और श्री राम को 14 साल के वनवास के लिए राज्य से बाहर भेजा जाएगा। दशरथ के पुत्र भरत ने कभी भी अयोध्या के सिहासन को स्वीकार नहीं किया और भगवान श्री राम के वनवास से लौटने तक उनका इंतजार करते रहे। कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु द्वारा मौत को प्राप्त हुए राजा बृहदबल को अयोध्या का एक महत्वपूर्ण राजा माना जाता है, वहीं इस वंश के अंतिम शासक की बात की जाए तो 400 साल पूर्व में सुमित्रा नामक राजा थे जिन्होंने मगध के नंद वंश के सम्राट महापदम नंद को पराजीत किया। गुर्जर लोहाराना स्वयं को सूर्यवंशी मानते हैं वहीं दूसरी तरफ इतिहास उठाकर देखा जाए तो गुर्जर सूर्य के उपासक रहे हैं और स्वयं को सूर्य देवता के चरणों में समर्पित बताते रहे हैं।गुर्जर मिहिर को उनके सम्मान के सबसे बड़ी उपाधि मानते हैं और मिहिर का अर्थ होता है सूर्य। सूर्यवंश में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है कि उत्तराधिकारी ही राजा बनता है, लेकिन किसी राजा को पुजारियों द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो वह राजा नहीं बन पाता है। सूर्यवंश की उत्पति कैसे हुई (Suryavansh ki utpati)- जैसा कि आपने ऊपर पड़ा सूर्य वंश की उत्पत्ति और दुनिया की उत्पत्ति एक साथ हुई थी। ब्रह्मा जी को एक पुत्र हुआ जिसका नाम था मरीच। मरीज के पुत्र का नाम था कश्यप और कश्यप ने विवस्वान को जन्म दिया। विवस्वान के जन्म को ही सूर्य वंश की उत्पत्ति माना जाता है। पुराणों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि विवस्वान से ही सूर्यवंश का आरंभ हुआ था। विवस्वान ने वैवश्वत मनु को जन्म दिया। वैवश्वत मनु दुनिया के प्रथम मनुष्य माने जाते हैं। प्रलय के समय एकमात्र जीवित मनुष्य वैवश्वत मनु थे। इनके बारे में कहा जाता है कि वर्तमान में धरती पर जितने भी मनुष्य हैं सब इनकी देन है। इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली (Suryavansh vanshawali)- इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली की लिस्ट बहुत बड़ी है। अयोध्या के सूर्यवंशी (Suryavansh) राजा का नाम या सूर्यवंशी राजा लिस्ट को हम अलग-अलग युगों में बांटकर अध्यन करेंगे ताकि समझने में आसानी रहे। इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली 130 राजाओं का नाम है। जिन्होंने सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग के साथ-साथ कलयुग में भी राज किया था। सूर्यवंश की वंशावली की लिस्ट में ब्रह्मा जी के पुत्र मरीज से लेकर अंतिम राजा सुमित्रा का नाम शामिल है। हिंदू धर्म के इतिहास में सूर्य वंश की वंशावली सबसे लंबी है, इसमें कई नामी प्रतापी राजाओं ने जन्म लिया। जिनमें भगवान श्री राम का नाम भी एक हैं। सतयुग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली- सतयुग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली जानने से पहले आपको यह जानना ज़रूरी हैं कि ब्रह्माजी के 10 मानस पुत्र हुए थे। इन 10 मानस पुत्रों में से एक थे मरीच जिन्होंने सूर्यवंश की वंशावली को आगे बढ़ाया। अब हम सतयुग में राज करने वाले इक्ष्वाकु वंश की वंशावली का अध्यन करेंगे। इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली निम्नलिखित हैं – 1. मरीच (ब्रह्माजी के पुत्र). 2. कश्यप (मरीच के पुत्र). 3. विवस्वान या सूर्य (कश्यप के पुत्र). 4. वैवस्वत मनु (विवस्वान या सूर्य के पुत्र). 5. नभग (वैवस्वत मनु के पुत्र). 6. नाभाग. 7. अंबरीष. 8. विरूप. 9. पृषदश्व. 10. रथितर. 11. इक्ष्वाकु. 12. कुक्षि. 13. विकुक्षि. 14. पुरंजय. 15. अनरण्य प्रथम. 16. पृथु. 17. विश्वरंधी. 18. चंद्र. 19. युवनाश्व. 20. वृहदक्ष. 21. धुंधमार. 22. दृढ़ाश्व. 23. हरयश्व. 24. निकुंभ. 25. वर्हणाश्व. 26. कृषाश्व. 27. सेनजित। 28. युवनाश्व (द्वितीय) सतयुग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली में उपरोक्त सभी मुख्य राजाओं ने जन्म लिया और राज किया। सतयुग के बाद त्रेतायुग का आरंभ हुआ था त्रेतायुग में भी इक्ष्वाकु वंश या सूर्यवंश (Suryavansh) के 41 राजाओं ने राज किया था, जिनका उल्लेख हम करेंगे। त्रेतायुग युग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली- त्रेता युग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्य वंश की वंशावली की बात की जाए तो सबसे पहले नाम आता है महाराजा मांधाता का। मांधाता कोलीय वंश के इष्ट देव हैं, इन्होंने संपूर्ण पृथ्वीलोक पर एक छत्र राज्य किया था इसलिए इन्हें पृथ्वीपति के नाम से भी जाना जाता है। इनके बाद भी त्रेता युग में 40 राजाओं ने राज किया जिनका नाम निम्नलिखित है – 29. मांधाता (पृथ्वीपति). 30. पुरुकुत्स. 31. त्रसदस्यु। 32. अनरण्य द्वितीय। 33. हर्यश्व। 34. अरुण। 35. निबंधन। 36. त्रिशुंक ( सत्यव्रती) 37. सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र। 38. रोहिताश। 39. चंप. 40. वसुदेव। 41. विजय। 42. भसक. 43. वृक. 44. बाहुक। 45. सगर. 46. असमंजस। 47. अंशुमान। 48. दिलीप। 49. भारीरथ (मां गंगा को पृथ्वीलोक पर लाने वाले महान राजा) 50. श्रुत। 51. नाभ. 52. सिंधुदीप। 53. अयुतायुष। 54. ऋतुपर्ण। 55. सर्वकाम। 56. सुदास। 57. सौदास। 58. अश्वमक। 59. मूलक। 60. सतरथ। 61. एडविड। 62. विश्वसह। 63. खटवांग। 64. दिर्गवाहु ( जिन्हें दिलीप नाम से भी जाना जाता है). 65. रघु ( सूर्यवंश के महान और प्रतापी सम्राट). 66. अज. 67. दशरथ। 68. भगवान श्री राम (इनके भाई भरत शत्रुघ्न और लक्ष्मण). 69. कुश. भगवान श्री राम के पुत्र कुश सूर्यवंश के त्रेता युग में अंतिम राजा थे। द्वापर युग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली (Suryavansh) द्वापर युग में भी इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली देखी जाए तो लगभग 31 राजाओं का नाम महत्त्वपूर्ण रुप से आता हैं। भगवान श्री राम के पुत्र कुश के बाद त्रेतायुग का अंत हो गया। त्रेतायुग के बाद द्वापर युग प्रारंभ हुआ। इसमें अतिथि नामक राजा प्रथम राजा थे।द्वापर युग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली निम्नलिखित हैं – 70. अतिथि। 71. निषद। 72. नल. 73. नभ (द्वितीय). 74. पुंडरिक। 75. क्षेमधन्मा। 76. देवानिक। 77. अनीह। 78. परियात्र। 79. बल. 80. उक्थ। 81. वज्रना। 82. खगण. 83. व्युतिताश्व। 84. विश्वसह। 85. हिरण्याभ। 86. पुष्य। 87. ध्रुवसंधि। 88. सुदर्शन। 89. अग्निवर्ण। 90. शीघ्र। 91. मरू. 92. प्रश्रुत। 93. सुसंधि। 94. अमर्ष। 95. महस्वान। 96. विश्वबाहु। 97. प्रसेनजक (द्वितीय). 98. तक्षक। 99. वृहद्वल। 100. वृहत्रछत्र। वृहत्रछत्र द्वापर युग में इक्ष्वाकु वंश या सूर्यवंश (Suryavansh) के अंतिम राजा थे। इनके पश्चात् कलयुग का आरंभ हो गया। कलयुग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली- कलयुग का आरंभ होने के बाद सबसे पहले गुरुक्षेत्र Suryavansh वंश के राजा बने। कलयुग में इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली देखी जाए तो कुल मिलाकर 29 राजा हुए हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं – 101. गुरुक्षेत्र ( उरूक्रीय). 102. वत्सव्यूह। 103. प्रतियोविमा। 104. भानु। 105. दीवाक। 106. वीर सहदेव। 107. बृहदश्व (द्वितीय). 108. भानुमान। 109. प्रतिमाव। 110. सुप्रिक। 111. मरुदेव। 112. सूर्यक्षेत्र। 113. किन्नरा ( पुष्कर). 114. अंतरिक्ष। 115. सुताप ( सुवर्णा). 116. अमितराजित (सुमित्रा). 117. ओक्काका ( बृहद्राज). 118. ओक्कामुखा (बरही). 119. कृतांज्य ( सिविसमंजया). 120. रणजय्या (सिहसारा). 121. संजय ( महाकोशल या जयसेना). 122. शाक्य (सिहानु). 123. धोधन। 124. सिद्धार्थ शाक्य या गौतम बुद्ध। 125. राहुल ( गौतम बुद्ध के पुत्र। 126. प्रसेनजीत (तीसरा) . 127. कुशद्रका (कुंतल). 128. कुलका या रानाक। 129. सुरत। 130. सुमित्र। सुमित्र, इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली के अंतिम राजा थे। 362 ईसा पूर्व में सूर्य वंश (Suryavansh) के अंतिम शासक सुमित्र को महापदम नंद जोकि मगध के प्रतापी सम्राट और महान शासक थे उन्होंने पराजित कर दिया। इसके साथ ही हजारों वर्षों से चले आ रहे इक्ष्वाकु वंश या सूर्यवंश (Suryavansh) का अंत हो गया। हालांकि सुमित्र की इस युद्ध में मृत्यु नहीं हुई थी। वह हार के पश्चात् रोहतास (बिहार) में चले गए। सूर्यवंश का इतिहास (Suryavansh History In Hindi) बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है, इस वंश ने ना सिर्फ भारतवर्ष (जंबूद्वीप) तक राज किया बल्कि संपूर्ण पृथ्वीलोक पर एकछत्र राज किया था। विश्व के प्रथम राजवंश सूर्यवंश में राजा मनु से लेकर भगवान श्री राम, राजा दशरथ, गौतम बुद्ध, गंगा को पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ जैसे महान राजाओं ने जन्म लिया। इक्ष्वाकु वंश या सूर्यवंश में अंतर इक्ष्वाकु वंश सूर्यवंश में कोई अंतर नहीं है इक्ष्वाकु वंश का उदय सूर्यवंशी से ही हुआ है। यह कौशल देश के राजा थे और अयोध्या इनकी राजधानी रही। इस वंश में ना सिर्फ महात्मा बुध का जन्म हुआ बल्कि जैन धर्म का उद्भव भी इसी वंश से सूर्यवंश से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी ( FAQ About Suryavansh). प्रश्न 1. सूर्यवंश के प्रथम राजा कौन थे ? उत्तर- वैवस्वत मनु. प्रश्न 2. सूर्यवंश के अंतिम राजा कौन थे ? उत्तर- सूर्यवंश के अंतिम राजा सुमित्र थे. प्रश्न 3. सूर्यवंश की उत्पति कैसे हुई? उत्तर- ब्रह्माजी ने मरीच को जन्म दिया ,मरीच ने कश्यप को जन्म दिया जिनके एक पुत्र हुआ जिसका नाम था मनु और मनु से ही सूर्यवंश की उत्पति मानी जाती हैं। प्रश्न 4. सूर्यवंश का गोत्र क्या हैं ? उत्तर- वशिष्ठ तथा भारद्वाज। प्रश्न 5. सूर्यवंश की कितनी शाखाएँ हैं ? उत्तर- 24. प्रश्न 6. सूर्यवंश के प्रवर कितने होते हैं ? उत्तर- 3 प्रवर होते हैं

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