[24/02, 08:23] Akhilesh Bahadur Pal: अयोध्या : सूर्यवंशी क्षत्रिय एक-दूसरे को भेंट कर रहे साफा
पूरा बाजार (अयोध्या) हिन्दुस्तान संवाद
उच्चतम न्यायालय की ओर से अयोध्या विवाद पर रामलला के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद सूर्यवंशी क्षत्रियों की ओर से अलग अंदाज में खुशी का इजहार किया जा रहा है। सूर्यवंशी क्षत्रिय सूर्य देवता को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं, इसलिए सूर्यवंशी क्षत्रिय धूप में न तो छाता लगाते हैं और न ही सिर ढकते हैं। यह परंपरा आज भी कायम है। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परंपरागत पोशाक में साफा भी आता है, इसलिए राम मंदिर के फैसले के बाद सूर्यवंशी क्षत्रिय एक-दूसरे को साफा भेंट कर हर्ष व्यक्त कर रहे हैं।
सूर्यवंशी क्षत्रियों के अध्यक्ष गुरु प्रसाद सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सामूहिक रूप से खुशी मनाने या जुलूस पर प्रतिबंध था, इसलिए सूर्यवंशी क्षत्रिय गांव में एक-दूसरे से मिलकर उन्हें साफा भेंट कर हर्ष व्यक्त कर रहे हैं। सूर्यवंशी क्षत्रियों का निवास 105 गांव में है। गांव का आधा भाग बस्ती जिले में भी पड़ता है। जब भी सूर्यवंशी क्षत्रियों की महापंचायत होती है तो अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के समाधि स्थल के सामने बने प्रांगण में होती है। क्योंकि सूर्यवंशी क्षत्रिय इसे अपने पुरखों का मंदिर मानते हैं। यहां लिया गया निर्णय सभी क्षत्रियों को सहर्ष स्वीकार होता है। यह परंपरा आज भी कायम है।
कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखण्ड पर लगभग तीन शताब्दियों तक एकछत्र राज किया. कत्यूरी राजवंश की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने अजेय मानी जाने वाली मगध की विजयवाहिनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. (Katyuri Dynasty of Uttarakhand) मुद्राराक्षस के ऐतिहासिक संस्कृति रचियता लेखक विशाख दत्त ने चंद्र गुप्त मौर्य और कत्यूरी राजवंश संधि हुई है का विषय में वर्णन किया है चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य संपूर्ण अखंड भारतवर्ष में अंपायर का संघर्षरत विस्तार कर रहे थे | उसे समय मगध डायनेस्टी का हिस्सा ( प्रांत गोरखपुर ) भी रहा है | आज से लगभग 2320 se 2345 साल पहले चंद्रगुप्त का राज था और लगभग ढाई हजार साल पहले शालीवहांन देव अयोध्या से उत्तराखंड आ चुके थे चंद्रगुप्त मौर्य 320 से298 ई0पूर्व का मगध के राजा थे कत्यूरी राजवंश की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में उभरने का कोई प्रमाणिक लेखा-जोखा नहीं मिलता है. यह इतिहासकारों के लिए अभी शोध का विषय ही है. इस सम्बन्ध में मिलने वाले अभिलेखों से कत्यूरी शासकों का परिचय तो मिलता है लेकिन इसके काल निर्धा...
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