सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गौतम_क्षत्रिय वंश जिसमे राजा सिद्धार्थ का #जन्म हुआ

#श्रीराम के #वंशज थे #अर्कबंधु_गौतम_बुद्ध :- #गौतम_क्षत्रिय वंश जिसमे राजा सिद्धार्थ का #जन्म हुआ था और बाद मे वो ही महात्मा बुद्ध बने थे..जिन्हे स्वय:भू #मूलनिवासी अपना कहते नही #थकते और हमे (सूर्यवंशी क्षत्रिय मौर्य) को विदेशी #बताते है... वंश- #सूर्यवंश_इच्छवाकु_शाक्य गोत्र- #गौतम #कुलदेवी- चामुण्ङा माता, बन्दी माता, दुर्गा माता देवता - महादेव योगेश्वर, #श्रीरामचन्द्र जी वेद - यजुर्वेद प्रसिद्ध महापुरुष- #भगवान_बुद्ध ( #सिद्धार्थ) #गौतम_वंश का महामंत्र-- रेणुका: सूकरह काशी काल बटेश्वर:। कालिंजर महाकाय अश्वबलांगनव मुक्तद:॥ प्राचीन राज्य- कपिलवस्तु, अर्गल, मेहनगर, कोरांव, बारां(उन्नाव), लशकरपुर ओईया(बदायूं) #गौतम_सूर्यवंशी_क्षत्रिय राजपूत हैं ये अयोध्या के #सूर्यवंश से अलग हुई शाखा है इन्हें #शाक्यवंश भी कहा जाता है। Note-- Alexander Cunningham (1871:349) relates the Sakya to the modern Gautam Rajputs, who were residing in the contemporary Indian districts Nagar & Amoddha of U.P. गौतम ऋषि द्वारा दीक्षित होने के कारण इनका ऋषि गोत्र गौतम हुआ जिसके बाद ये गौतम क्षत्रिय कहलाए जा...

गौड़ क्षत्रिय राजवंश

गौड़ क्षत्रिय भगवान श्रीराम के छोटे भाई भरत के वंशज हैं। ये विशुद्ध सूर्यवंशी कुल के हैं। जब श्रीराम अयोध्या के सम्राट बने तब महाराज भरत को गंधार प्रदेश का स्वामी बनाया गया। महाराज भरत के दो बेटे हुये तक्ष एवं पुष्कल जिन्होंने क्रमशः प्रसिद्द नगरी तक्षशिला (सुप्रसिद्ध विश्वविधालय) एवं पुष्कलावती बसाई (जो अब पेशावर है)। एक किंवदंती के अनुसार गंधार का अपभ्रंश गौर हो गया जो आगे चलकर राजस्थान में स्थानीय भाषा के प्रभाव में आकर गौड़ हो गया। महाभारत काल में इस वंश का राजा जयद्रथ था। कालांतर में सिंहद्वित्य तथा लक्ष्मनाद्वित्य दो प्रतापी राजा हुये जिन्होंने अपना राज्य गंधार से राजस्थान तथा कुरुक्षेत्र तक विस्तृत कर लिया था। पूज्य गोपीचंद जो सम्राट विक्रमादित्य तथा भृतहरि के भांजे थे इसी वंश के थे। बाद में इस वंश के क्षत्रिय बंगाल चले गए जिसे गौड़ बंगाल कहा जाने लगा। आज भी गौड़ राजपूतों की कुल देवी महाकाली का प्राचीनतम मंदिर बंगाल में है जो अब बंगलादेश में चला गया है। बंगाल के गौड़ बंगाल में गौड़ राजपूतों का लम्बे समय तक शासन रहा। चीनी यात्री ह्वेन्शांग के अनुसार शशांक गौड़ की राजधानी कर...

इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली

[21/11, 7:41 am] Akhilesh Bahadur Pal: विवस्वान के जन्म को ही सूर्य वंश की उत्पत्ति माना जाता है। पुराणों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि विवस्वान से ही सूर्यवंश का आरंभ हुआ था। विवस्वान ने वैवश्वत मनु को जन्म दिया। वैवश्वत मनु दुनिया के प्रथम मनुष्य माने जाते हैं। प्रलय के समय एकमात्र जीवित मनुष्य वैवश्वत मनु थे। इनके बारे में कहा जाता है कि वर्तमान में धरती पर जितने भी मनुष्य हैं सब इनकी देन है। इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली (Suryavansh vanshawali)- इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली की लिस्ट बहुत बड़ी है। अयोध्या के सूर्यवंशी (Suryavansh) राजा का नाम या सूर्यवंशी राजा लिस्ट को हम अलग-अलग युगों में बांटकर अध्यन करेंगे ताकि समझने में आसानी रहे। इक्ष्वाकु वंश की वंशावली या सूर्यवंश की वंशावली 130 राजाओं का नाम है। जिन्होंने सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग के साथ-साथ कलयुग में भी राज किया था। सूर्यवंश की वंशावली की लिस्ट में ब्रह्मा जी के पुत्र मरीज से लेकर अंतिम राजा सुमित्रा का नाम शामिल है। हिंदू धर्म के इतिहास में सूर्य वंश की वंशावली सबसे लंबी ह...

History of Doti rajya*

* Doti was a medieval kingdom of Nepal founded by Niranjan Malla Deo, the younger brother of Abhay Pal of Askot. Rulers of Doti were called 'Raika'. Previously the area between Ramganga on the west and Karnali river on the east was under Raikas. Doti was an ancient kingdom of Uttarakhand of India and far western region of Nepal which was formed after disintegration of Katyuri kingdom of Uttarakhand and far western region of Nepal during 13th century. Doti was one of eight different princely states formed after the Katury kingdom broken and They all are Katyuri Dynasty; The Kingdom had broken down because of the invasion of Khas Kings Ashoka Challa and Krachalla from Karnali Zone (Dullu) of Nepal in 1191 and 1223 respectively'. Later on, the whole land between Ramganga on the west (Uttarakhand) and the Karnali on the east (which divides far western region to other part Nepal) came under Raikas after the origin of Raikas of Katyuris dynasty in Doti. "Brahma Dev Mandi...

सूर्यवंशी_अर्कवंशी_क्षत्रियों की शाखा सूर्यवंशी kshatriya (#राजपूत कुल) की ब्रह्मा जी से लेकर श्री राम जी तक वंशावली (भाग २)।। 🙏🚩

#सूर्यवंशी_अर्कवंशी_क्षत्रियों की शाखा सूर्यवंशी kshatriya (#राजपूत कुल) की ब्रह्मा जी से लेकर श्री राम जी तक वंशावली (भाग २)।। 🙏🚩 आपने पिछले अध्याय 1में ब्रह्मा, विष्णु, महेश (शिव) से लेकर, ब्रह्मा जी के 59 पुत्रों तक का इतिहास पढ़ा । अब उससे आगे आप अध्याय 2 में पढ़िए ब्रह्माजी से लेकर भगवान श्री राम तक का इतिहास। 01 - ब्रह्माजी - ब्रह्माजी से मरीचि हुए। 02 - मरीचि - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। 03 - कश्यप - के पुत्र विवस्वान थे। विवस्वान् को सूर्यदेव (प्रत्यक्ष सूर्य नहीं) भी कहा जाता था। विवस्वान से ही सूर्यवंश चला। 04 - विवस्वान - विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु हुए। 05 वैवस्वत मनु - वैवस्वत मनु के दस पुत्र हुए -: 01 – इल (‘‘इला’) 02 - इक्ष्वाकु 03 - कुशनाम (नाभाग) 04 - अरिष्ट 05 – धृष्ट 06 – नरिष्यन्त 07 - करुष 08 - महाबली 09 - शर्याति 10 - पृषध उपरोक्त वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से दूसरे पुत्र का नाम इक्ष्वाकु था।...