पुराणों में अयोध्या (क) सूर्यवंश अयोध्या सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी है। इस राजवंश में विचित्रता यह है कि और जितने राजवंश भारत में हुये उनमें यह सबसे लम्बा है। आगे जो वंशावली दी हुई है उसमें १२३ राजाओं के नाम हैं जिनमें से ९३ ने महाभारत से पहिले और ३० ने उसके पीछे राज्य किया। जब उत्तर भारत के प्रत्येक राज्य पर शकों, पह्नवों और काम्बोजों के आक्रमण हुये और पश्चिमोत्तर और मध्य देश के सारे राज्य परास्त हो चुके थे तब भी कोशल थोड़ी ही देर के लिये दब गया था और फिर संभल गया। कोई राजवंश न इतना बड़ा रहा न अटूट क्रम से स्थिर रहा जैसा कि सूर्यवंश रहा है और न किसी की वंशावली ऐसी पूर्ण है, न इतनी आदर के साथ मानी जाती है। प्रसिद्ध विद्वान पाजिटर साहेब का मत है कि पूर्व में पड़े रहने से कोशलराज उन विपत्तियों से बचा रहा जो पश्चिम के राज्यों पर पड़ी थीं। हमारा विचार यह है कि सैकड़ों बरस तक कोशल के शासन करनेवाले लगातार ऐसे शक्तिशाली थे कि बाहरी आक्रमणकारियों को उनकी ओर बढ़ने का साहस नहीं हुआ और इसी से उनकी राजधानी का नाम "अयोध्या" या अजेय पड़ गया। पूर्व में रहने अथवा युद्ध के योग्य अच्छी स्थिति से उनका देश नहीं बचा। महाभारत ऐसा सर्वनाशी युद्ध हुआ जिससे भारत की समृद्धि, ज्ञान, सभ्यता अदि सब नष्ट हो गये और उसके पीछे भारत में अन्धकार छा गया । सब के साथ सूर्यवंश की भी अवनति होने लगी और जब महापद्मनन्द के राज में या उसके कुछ पहिले क्रान्ति हुई तो कोशल शिशुनाक राज्य के अन्तर्गत हो गया । महाभारत में भी कोशलराज ने [ ६३ ]पुराणों में अयोध्या अपनी पुरानी प्रतिष्ठा के योग्य कोई काम नहीं कर दिखाया जिसका कारण कदाचित् यही हो सकता है कि जरासन्ध से कुछ दब गया था। बेण्टली साहेब ने ग्रहमंजरी के अनुसार जो गणना की है उससे इस वंश का प्रारम्भ ई० पू० २२०४ में होना निकलता है । मनु सूर्यवंश और चन्द्रवंश दोनों के मूल-पुरुष थे। सूर्यवंश उनके पुत्र इक्ष्वाकु से चला और चन्द्रवंश उनकी बेटी इला से । मनु ने अयोध्या नगर बसाया और कोशल की सीमा नियत करके इक्ष्वाकु को दे दिया । ३८वाकु उत्तर भारत के अधिकांश का स्वामी था क्योंकि उसके एक पुत्र निमि ने विदेह जाकर मिथिलाराज स्थापित किया दूसरे दिष्ट या नेदिष्ट ने गण्डक नदी पर विशाला राजधानी बनाई। प्रसिद्ध इतिहासकार डंकर ने महाभारत की चार तारीस्त्रं मानी हैं, ई० पू० १३००, ई० पू० ११७५, ई० पू० १२०० और ई० पू० १४१८, परन्तु पार्जिटर उनसे सहमत नहीं हैं और कहते हैं कि महाभारत का समय ई० पू० १००० है । उनका कहना है कि अयुष, नहुष और ययाति के नाम ऋग्वेद में आये हैं; ये ई० पू० २३०० से पहिले के नहीं हो सकते । रायल एशियाटिक सोसाइटी के ई० १९१० के जर्नल में जो नामावली दी है उनके अनुसार चन्द्रवंश का अयुष, सूर्यवंश के शशाद का समकालीन हो सकता है और ययाति अनेनस् का । पार्जिटर महाशय का अनुमान बेण्टली के अनुमान से मिलता जुलता है। परन्तु महाभारत का समय अब तक निश्चित नहीं हुआ। राय बहादुर श्रीशचन्द्र विद्यार्णव ने “डेट अव महाभारत वार" (Date of Maha. bharata War) शीर्षक लेख में इस प्रश्न पर विचार किया है और उनका अनुमान यह है कि महाभारत ईसा से उन्नीस सौ बरस पहिले हुआ था। अब हम सूर्यवंशी राजाओं के माम गिनाकर उनमें जो प्रसिद्ध हुये उनका संक्षिप्त वृत्तान्त लिखते हैं। [ ६४ ]अयोध्या के सूर्यवंशी राजा (महाभारत से पहिले) १ मनु २ इक्ष्वाकु ३ शशाद ४ ककुत्स्थ ५ अनेनस ६ पृथु ७ विश्वगाश्व ९ युवनाश्व श्म १० श्रावस्त १२ कुवलयाश्व १३ रढ़ाश्व १४ प्रमोद १५ हर्यश्व १म १६ निकुम्म १७ संहताश्व १८ कृशाश्व १९ प्रसेनजित २० युवनाश्व २य २१ मान्धात [ ६५ ]अयोध्या के सूर्यवंशो राजा २२ पुरुकुत्स * २३ त्रसदस्यु २४ सम्भूत २५ अनरण्य २६ पृषदश्व २७ हर्यश्व २य २८ वसुमनस् २९ तृधन्वन् ३० चैयारुण ३१ त्रिशंकु ३२ हरिश्चन्द्र ३३ रोहित ३४ हरित ३५ चंचु (चंप, भागवत के अनुसार) ३६ विजय ३८ वृक ३९ बाहु ४० सगर ४१ असमञ्जस ४२ अंशुमत् ४३ दिलीप श्म ४४ भगीरथ ४५ श्रुत
विरुणुपुराण के अनुसार मान्धात का बेटा अंबरीष था उसका पुत्र हारीत
हुआ जिससे हारीता गिरस नाम पत्रियकुल चला । ९ [ ६६ ]अयोध्या का इतिहास ४६ नाभाग ४७ अम्बरीष ४८ सिंधुद्वीप ४९ अयुतायुस् ५० ऋतुपर्ण ५१ सर्वकाम ५२ सुदास ५३ कल्माषपाद ५४ अश्मक ५५ मूलक ५६ शतरथ ५७ वृद्धशर्मन् ५८ विश्वसह १म ५९ दिलीप २ य ६० दीर्घबाहु ६२ अज ६३ दशरथ ६४ श्रीरामचन्द्र ६५ लव कुश ६६ अतिथि ६७ निषध ६८ नल ६९ नभस् ७० पुण्डरीक ७१ क्षेमधन्वन [ ६७ ]EL अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ७२ देवानीक ७३ अहीनगु ७४ पारिपात्र ७६ शल ७७ उक्थ ७८ वजनाभ ७९ शंखन ८० व्युषिताश्व ८१ विश्वसह २य ८२ हिरण्यनाभ ८३ पुष्य ८४ ध्रुवसन्धि ८५ सुदर्शन ८६ अग्निवर्ण ८७ शीघ्र ८८ मरु ८९ प्रथुश्रुत ९. सुसन्धि ९१ अमर्ष ९२ महाश्वत ९३ विश्रुतवत् ९४ बृहद्वल *
इसे अभिमन्यु ने मारा था ( महाभारत द्रोणपर्व )। [ ६८ ]महाभारत के पीछे के सूर्यवंशी राजा १ बृहत्क्षय २ उरुक्षय ३ वत्सद्रोह ( या वत्सव्यूह) ४ प्रतिव्योम ५ दिवाकर ६ सहदेव ७ ध्रुवाश्व ( या वृहदश्व ) ८ भानुरथ ९ प्रतीताश्व ( या प्रतीपाश्व) १० सुप्रतीप ११ मरुदेव ( या सहदेव) १२ सुनक्षत्र १३ किन्नराव (या पुष्कर) १४ अन्तरिक्ष १५ सुषेण ( या सुपर्ण या सुवर्ण या सुतपस्) १६ सुमित्र (या अमित्रजित् ) १७ बृहद्रज (भ्राज या भारद्वाज) १८ धर्म ( या वीर्यवान् ) १९ कृतञ्जय २० बात २१ रगञ्जय २२ सय [ ६९ ]महाभारत के पीछे के सूर्यवंशी राजा २३ शाक्य २४ क्रुद्धोद्धन या शुद्धोदन २५ सिद्धार्थ २६ राहुल (या रातुल, बाहुल) लांगल या पुष्कल) २७ प्रसेनजित (या सेनजित ) २८ क्षुद्रक (या विरुधक) २९ कुलक ( तुलिक, कुन्दक, कुडव, रणक) ३० सुरथ ३१ सुमित्र
कत्युर - सालिवाहन देव संजयदेव हरितहरी देव ब्रम्हदेव सकदेव ब्रजदेव विक्रमाजीत धर्मपाल सारंगधर निलयपाल भोजराज तिनयपाल भोजराजदेव समसी देव असल देव असुकदेव सारंगदेव नाजदेव कमजायदेव सालिनकुल देव गणपतिदेव जयसिंघदेव संकेश्वरदेव सनेस्वरदेव क्रिसिध्यादेव विधिराजदेव पृथिवेसवरदेव बालकदेव असंतिदेव बासन्तीदेव कटारमल देव सीतादेव सिंधदेव किनादेव रणकिनदेव मिलरेदेव बज्रभाहुदेव गौरदेव सांवलदेव इतिनराजदेव तेलंगराजदेव उदछयाशीलादेव प्रीतमदेव धामदेव ब्रम्हदेव त्रिलोकपाल अस्कोट - अभय पाल महुली -महाराजा अलख देव (1305-1342 ) :-- राजा अलखदेव 1281
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