# अयोध्या के सूर्यवंशी-नरेशों की गौरवशाली परम्परा में 130वें शासक महाराज सुमित्र थे। महाराज सुमित्र की 57वीं एवं अयोध्या के प्रथम सम्राट् वैवस्वत मनु की 186वीं पीढ़ी में महाराज शंखदेव पैदा हुए। महाराज शंखदेव के ज्येष्ठ पुत्र महाराज अजबाहुदेव पिता के पश्चात् राज्य के उत्तराधिकारी हुए और कनिष्ठ पुत्र महाराज दीर्घबाहुदेव के पुत्र महाराज बृजभानुदेव उपाख्य वसिष्ठसेन ने 332 ई. पू. में अयोध्या के सुदूर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अचिरावती नदी के अंचल में रुद्रपुर नामक राज्य की स्थापना करने के साथ ही 'श्रीनेत' पदवी धारण की। इस सम्बन्ध एक प्राचीन श्लोक प्रचलित है- तस्य पुत्रो दयासिन्धु बृजभानुः प्रतापवान्। श्रीनेत पदवीकेन लब्धा भुमिरनुत्तमा।। इस ऐतिहासिक सन्दर्भ का उल्लेख करते हुए महामहिमोपाध्याय डॉ. हीरालाल पाण्डेय लिखते हैं- अयोध्याया नृपः ख्यातः सुमित्र इति नामभाक्। पौरुषे सप्तपञ्चासे शङ्खदेवो नृपोभवत्।। शङ्खदेवस्य पुत्रौ द्वौ विख्यातौ क्षितिमण्डले। अजबाहुः नृपः श्रेष्ठ दीर्घबाहुः प्रतापवान्।। दीर्घबाहुः सुतः श्रीमान् बृजभानुः नृपोत्तमः। स एव हि वसिष्ठोऽपि प्रख्यां विन्दति भारते।। येन ...
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