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ब्राह्मी और देवनागरी लिपि को जानिए

 ■■ब्राह्मी और देवनागरी लिपि को जानिए!■■ संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। 'संस्कृत' का शाब्दिक अर्थ है 'परिपूर्ण भाषा'। संस्कृत से पहले दुनिया छोटी-छोटी, टूटी-फूटी बोलियों में बंटी थी जिनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भाषा कोष भी नहीं था। कुछ बोलियों ने संस्कृत को देखकर खुद को विकसित किया और वे भी एक भाषा बन गईं। सभी भाषाओं की जननी संस्कृत ब्राह्मी और देवनागरी लिपि : भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ। भारत से इसे सुमेरियन, बेबीलोनीयन और यूनानी लोगों ने सीखा। प्राचीनकाल में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का प्रचलन था। ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनियाभर की अन्य लिपियों का जन्म हुआ। ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मी लिपि 10,000 साल पुरानी है लेकिन यह भी कहा जाता है कि यह लिपि उससे भी ज्यादा पुरानी है। सम्राट अशोक ने भी इस लिपि को अपनाया : महान सम्राट अशोक ने ब्राह्मी लिपि को धम...

रघुवंश का इतिहास:-

 *जयश्री राम *   रघुवंश का इतिहास:- "भाग-2" ---------------------------------------            कौशलजनपद (साकेत/अयोध्या) के अंतिम रघुवंशी राजा सुमित्र थे। लगभग 411 ईपू. में मगध के शासक महापद्यनंद ने कौशल पर आक्रमण कर अयोध्या के अंतिम रघुवंशी राजा सुमित्र को हराकर उन्हें अयोध्या/साकेत से निष्कासित कर दिया था। महापद्मनंद ने कौशलजनपद को मगध में मिलाकर, मगध का एक प्रांत बनाकर इसका शासन भरों को सौप दिया था। जो श्रावस्ती से शासन करने लगे थे। इस प्रकार कौशल पर नंदवंश का शासन हो गया था। " उत्तर कौशल के रघुवंशी " :-               सरयु नदी से लेकर नेपाल की तराई तक का क्षेत्र उत्तर कौशल कहलाता था। उत्तर कौशल के रघुवंशी प्रभु श्रीराम के छोटे पुत्र लव के वंशज थे। नंदवंश के समय उत्तर कौशल में रघुवंशी बहराइच, श्रावस्ती क्षेत्र में तथा बस्ती से गोरखपुर के बीच के क्षेत्र में रहते थे। नंदवंश के शासनकाल में उत्तर कौशल (उत्तरीअवध) के वहराइच, श्रावस्ती क्षेत्र के रघुवंशी पलायन करके पंजाब से होते हुए जम्मू कश्मीर व पाकिस्तान ...