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नाग वंश के राजा श्री ललितादित्य मुक्तापीड

 मौखरि राजा यशोवर्मन के बाद उनके मित्र कश्मीर के कर्कोट नाग वंश के राजा श्री ललितादित्य मुक्तापीड सम्राट बने जिन्होंने संपूर्ण भारत पर विजय प्राप्त की। जिनका युद्ध कार्तिकेय पुर राजवंश के बसंत देव से हुए था इस युद्ध में जितने के बाद बसंत देव उत्तराखंड के सम्राट बने ललितादित्य मुक्तापीड  राज्याभिषेक की तिथि 732 ई. मानी जाती है। इस समय तक सम्राट यशोवर्मन वृद्ध हो गये थे। अपनी विशाल विजयों के कारण, ललितादित्य अपने समय का सबसे प्रमुख भारतीय शासक बन गया, जिसकी विजयें संभवतः गुप्त सम्राटों के बाद सबसे व्यापक थीं।

कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार सम्राट ललितादित्य का विजय अभियान कन्नौज, मगध, गौड़, कलिंग, कर्नाट पर विजय प्राप्त करने के बाद कावेरी के तट तक पहुँचा। वहां से उसने पश्चिम में सप्राकोंकन, द्वारिका और अवंती पर और उत्तर में कम्बोज, तुषारस, मुमुनिस, तिब्बती, दर्दस, प्रागज्योतिष, श्रीराज्य और उत्तर कुरु पर विजय प्राप्त की। अरब सेनापति कुतैव ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया था। सम्राट ललितादित्य आगे बढ़े और अरब मुस्लिम सेना को कड़ा जवाब दिया। अरब सेनापति कुतैब मारा गया और शेष सेना भाग गई। उसने अरब सेना का पीछा किया और रास्ते में आने वाले सभी राज्यों पर विजय प्राप्त की, वंक्षु नदी को पार किया और पामीर पर्वत श्रृंखला की घाटी तक के क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया।

सम्राट ललितादित्य ने कश्मीर में कई महल, इमारतें और मंदिर बनवाये। मार्तंड मंदिर के अवशेष अभी भी मार्तंड तीर्थ पर पाए जा सकते हैं। उन्होंने परिहासपुर नगर की स्थापना की। यशोवर्मन के विद्वान भवभूति और वाक्पतिराज भी कश्मीर राजदरबार में आये। सम्राट ललितादित्य की मृत्यु 760-761 ई. में हुई

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