महुली के नवें राजा महाराज दीप पाल्य देव की दो शादी हुयी थी छोटी रानी से मर्दन पाल हुए और बड़ी रानी से करण पाल हुये मर्दन पाल छोटी रानी से पैदा होने के बाद भी बड़े पुत्र हुये करण पाल बड़ी रानी से पैदा होने के उपरांत छोटे हुयी आपस में उत्तराधिकार में महुली राज्य का बटवारा 1607 ईस्वी में हुआ जिसमे मर्दन पाल को राजा की उपाधि और तथा करण पाल मर्दन पाल के बराबर 75 गांव का राज़्य हरिहरपुर स्वतन्त्र रूप स से प्राप्त हुआ तथा कुँवर एवं बाबु की उपाधि मिली आगे हरिहरपुर में करण पाल के वंसजो में बटवारा होने के कारन 12 कोट में बट गया जिसमे बेलदुहा बेलवन , सींकरी ,मैनसिर , भक्ता , कोहना, हरिहरपुर ग्राम या नगरों में पाल राजवंश के परिवार 12 कोट में रहने लगे इसमें एक शाखा राय कन्हैया बक्स बहादुर पाल की थी इनके तीन पुत्र हुए जगत बहादुर पाल शक्त बहादुर लोक , नरेंद्र बहादुर पाल शक्त बहादुर पाल 1857 की क्रान्ति में बागी हो के शाहीद हो गए थे जगत बहादुर पाल वशजों में दान बहादुर पाल महादेव पाल हरिहर प्रसाद पाल भागवत पाल बांके पाल दान बहादुर पाल की शादी प्रताप गड एक राज़ परिवार में हुयी थी दान बहादुर पाल भागवत पाल और बांके पाल को कोई पुत्र नहीं हुए महादेव पाल को एक पुत्र राजबहादुर पाल हुए तथा हरिहर प्रसाद पाल को तीन पुत्र ज्ञान बहादुर पाल शीतला बक्स पाल चन्द्रिका प्रसाद पाल शीतला बक्स पाल को कोई संतान नहीं थी ज्ञान बहादुर पाल से गजपति प्रसाद पाल के पुत्र गगनेंद्र पाल ,गर्वमर्दन पाल योगेंद्र पाल धीरेंद्र पाल तथा चन्द्रिका प्रसाद पाल से राजेन्द्र बहादुर पाल एवं वीरेंद्र बहादुर पाल हुए राजेंद्र बहादुर पाल ke putra रवि उदय पाल.अखिलेश बहादुर पाल। अखंड बहादुर पाल वीरेंद्र बहादुर पाल के पुत्र रविंद्र बहादुर पाल अरविन्द बहादुर पाल राज बहादुर पाल से पटेश्वरी प्रसाद पाल के पुत्र दिनेश पाल उमेश पाल मोहन पाल हुए नरेन्द्र बहादुर पाल को दो पुत्र हुए संत बक्स पाल गुरु बक्स पाल सन्त बक्स पाल को दो पुत्र हुए प्रयाग पाल काशी पाल काशी पाल के एक पुत्र हुए महेंद्र पाल के पुत्र दुर्गेश पाल गुरुबक्स पाल के पुत्र जायबक्स पाल तथा इनके पुत्र हुए चन्द्रिका बक्स पाल इनके पुत्र चन्द्रदेव पाल के पुत्र अजय पाल विजय पाल तथा इंद्रदेव पाल और दूसरी शाखा मैनसिर और सीकरी की है जिसमे रामशंकर पाल पन्ना पाल तीसरी शाखा में भक्ता कोहना हरिहरपुर नगर भद्रसेन पाल इन्द्रसेन पाल रंग नारायण पाल ब्रज भाषा के लोक प्रिय कवि , सत्यासरन पाल बृजेश पाल अदित पाल गिरजेश पाल बिमल पाल विजय पाल विनय पाल राजु पाल रहे है या हैं
रंगपाल नाम से विख्यात महाकवि रंग नारायण पाल जूदेश वीरेश पाल का जन्म सन्तकबीर नगर (उत्तर प्रदेश) के नगर पंचायत हरिहरपुर में फागुन कृष्ण १० संवत १९२१ विक्रमी को हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वेश्वर वत्स पाल तथा माता का नाम श्रीमती सुशीला देवी था। उनके पिता जी राजा mahuli राज्य के वंशज थे। वे एक समृद्धशाली तालुक्केदार थे। उनके पिता जी साहित्यिक वातावरण में पले थे तथा विदुषी माँ के सानिध्य का उन पर पूरा प्रभाव पड़ा था। उनकी माँ संस्कृत व हिन्दी की उत्कृष्ट कवयित्री थीं। उनकी मृत्यु ६२ वर्ष की अवस्था में भाद्रपद कृष्ण १३ संवत १९९३ विक्रमी में हुई थी। माताजी से साहित्य का अटूट लगाव का पूरा प्रभाव रंगपाल पर पड़ा, जिसका परिणाम था कि स्कूली शिक्षा से एकदम दूर रहने वाले रंगपाल में संगीत की गहरी समझ थी। वे ‘बस्ती जनपद के छन्दकारों का सहित्यिक योगदान’ के भाग १ में शोधकर्ता डा. मुनिलाल उपाध्याय ‘सरस’ ने पृ. ५९ से ९० तक ३२ पृष्ठों में उनके विषय में विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया है। रंगपाल जी को उन्होंने द्वितीय चरण के प्रथम कवि के रुप में चयनित किया है। वे एक आश्रयदाता, वर्चस्वी संगीतकार तथा महान क...
श्रीमान मेरा घर भी है पर मुझे बहुत जानकारी नहीं है आप लोग हम से बड़े हैं कि कृपया सरयू प्रसाद पाल के पूर्व का कालखंड एवं बुजुर्गों का नाम मुझे बताने का कष्ट करें
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