कत्युर - सालिवाहन देव संजयदेव हरितहरी देव ब्रम्हदेव सकदेव ब्रजदेव विक्रमाजीत धर्मपाल सारंगधर निलयपाल भोजराज तिनयपाल भोजराजदेव समसी देव असल देव असुकदेव सारंगदेव नाजदेव कमजायदेव सालिनकुल देव गणपतिदेव जयसिंघदेव संकेश्वरदेव सनेस्वरदेव क्रिसिध्यादेव विधिराजदेव
पृथिवेसवरदेव बालकदेव असंतिदेव बासन्तीदेव कटारमल देव सीतादेव सिंधदेव किनादेव रणकिनदेव मिलरेदेव बज्रभाहुदेव गौरदेव सांवलदेव इतिनराजदेव
तेलंगराजदेव उदछयाशीलादेव प्रीतमदेव धामदेव ब्रम्हदेव त्रिलोकपाल
अस्कोट - अभय पाल
महुली -महाराजा अलख देव (1305-1342 ) :-- राजा अलखदेव 1281 में जन्मे, प्रथम राजा थे। सम्राट ब्रह्म देव के परपोते, उन्होंने उत्तर-पूर्वी यूपी के मैदानों में एक सेना का नेतृत्व किया और स्थानीय आदिवासी राजभर राजा को एक क्रूर युद्ध में शामिल किया, जिसमें अलख देव, उनके भाई तिलक देव और उनकी सूर्यवंशी राजपूत सेना विजयी हुई। अलख देव ने 1305 में महुली गाँव में बस्ती (गोरखपुर से 100 किमी) से 32 किलोमीटर की दूरी पर अपनी राजधानी स्थापित की। महसों-महुली के सामंती राज्य ने 14 कोस (47 किलोमीटर) लंबा और कई सौ गांवों को घेर कर बनाया गया है। उनकी मृत्यु 1342 में हुई थी।
राजा तपतेजपाल ( 1342-1359 ) :- द्वितीय राजा राजा तपतेजपाल का जन्म 1308 में हुआ था। उनके शासनकाल के दौरान, 1353 में, भारत के सम्राट, सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने दिल्ली से मार्च किया, जिसने बंगाल के नवाब को दंडित करने के लिए एक विशाल सेना का नेतृत्व किया, उसने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी। उसी वर्ष नवंबर में, सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिविर और पिच शिविर को रोकने का फैसला किया। यहाँ वह सामंती प्रभुओं से श्रद्धांजलि अर्पित करता है और दिल्ली सल्तनत की गद्दी के लिए अपनी निष्ठा सुनिश्चित करता है। सुल्तान के बंगाल अभियान के लिए तपतेज देव पुरुषों, हथियारों और मातृत्व प्रदान करता है। बदले में, सम्राट सुल्तान ने तपतेज देव को राजा का दर्जा दिया और इसके साथ आने वाले विशेषाधिकारों को भी दिया। वे पाल को अपने नाम के आगे शीर्षक के रूप में उपयोग करने का अधिकार पा गये। एह उप नाम वरिष्ठ असकोटे परिवार से लिया है उनकी मृत्यु 1359 में हुई थी।
राजा खान पाल उर्फ ज्ञान पाल (1359-1372 ) : तीसरे राजा राजा खान पाल उर्फ ज्ञान पाल का जन्म 1329 में तथा निधन 1372 में हुआ था।
राजा कुँवर पाल (1372-1404 ) :- चैथे राजा राजा कुँवर पाल का जन्म 1358 में तथा मृत्यु 1404 हुई थी।
राजा तेजपाल (1404-1421 ) : - पांचवें राजा राजा तेजपाल का जन्म 1378 में हुआ तथा मृत्यु 1421 में हुई थी।
राजा सततपाल ( 1421-1441 ) :- छठवें राजा राजा सततपाल का जन्म 1398 में तथा मृत्यु 1441 में हुई थी।
राजा मानपाल ( 1441-1480) :- सातवें राजा मानपाल का जन्म 1440 में तथा 1480 में मृत्यु हो गई थी। इनके 3 पुत्र हुए थे। परशुरामपाल को महसों का राज्य मिला था। जगतबली पाल को जसवल का राज्य तथा संसारपाल को सिकतार का राज्य मिला था।
राजा परशुराम पाल (1480-1535) :- आठवें राजा परशुराम पाल का जन्म 1470 में तथा 1535 में मृत्यु हो गई थी।
राजा दीपपाल (1535-1585) :- नौवें राजा दीपपाल का जन्म 1515 में तथा 1585 में मृत्यु हो गई थी।
हरिहरपुर स्टेट (बेलदुहा बेलवां ) कुंवर करण पाल्य देव कुँवर राय कन्हैया बक्स पाल्य देव कुँवर जगत बहादुर पाल्य देव कुँवर हरिहर प्रसाद पाल्य देव कुंवर ज्ञान बहादुर पाल्य देव कुंवर पटेश्वरी प्रसाद पाल्य देव कुँवर गजपति प्रसाद पाल्य देव वर्तमान में कुंवर राजेंद्र बहादुर पाल्य देव
कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखण्ड पर लगभग तीन शताब्दियों तक एकछत्र राज किया. कत्यूरी राजवंश की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने अजेय मानी जाने वाली मगध की विजयवाहिनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. (Katyuri Dynasty of Uttarakhand) मुद्राराक्षस के ऐतिहासिक संस्कृति रचियता लेखक विशाख दत्त ने चंद्र गुप्त मौर्य और कत्यूरी राजवंश संधि हुई है का विषय में वर्णन किया है चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य संपूर्ण अखंड भारतवर्ष में अंपायर का संघर्षरत विस्तार कर रहे थे | उसे समय मगध डायनेस्टी का हिस्सा ( प्रांत गोरखपुर ) भी रहा है | आज से लगभग 2320 se 2345 साल पहले चंद्रगुप्त का राज था और लगभग ढाई हजार साल पहले शालीवहांन देव अयोध्या से उत्तराखंड आ चुके थे चंद्रगुप्त मौर्य 320 से298 ई0पूर्व का मगध के राजा थे कत्यूरी राजवंश की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में उभरने का कोई प्रमाणिक लेखा-जोखा नहीं मिलता है. यह इतिहासकारों के लिए अभी शोध का विषय ही है. इस सम्बन्ध में मिलने वाले अभिलेखों से कत्यूरी शासकों का परिचय तो मिलता है लेकिन इसके काल निर्धा...
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