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दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

suryavance

अयोध्यापति राजा दशरथ.. 👑👑 भगवान विष्णु अवतारी #श्रीराम के पिता राजा #दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे #इक्ष्वाकु कुल के युद्ध कुशल प्रतापी चक्रवर्ती सम्राट थे। प्राचीन भारत के इक्ष्वाकु कुल वंश के प्रथम राजा इक्ष्वाकु थे। 'इक्ष्वाकु' शब्द 'इक्षु' से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ ईख होता है। पौराणिक परंपरा के अनुसार इक्ष्वाकु, #विवस्वान् (सूर्य) के पुत्र #वैवस्वत मनु के पुत्र थे। वैवस्वत मनु हिन्दू धर्म के अनुसार मानव जाति के प्रणेता व प्रथम पुरुष स्यंभुव मनु के बाद सातवें मनु थे। हरेक मन्वंतर में एक प्रथम पुरुष होता है, जिसे मनु कहते हैं। वर्तमान काल में वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है, जिसके प्रथम पुरुष वैवस्वत मनु थे, जिनके नाम पर ही मन्वन्तर का भी नाम है। भगवान सूर्य विवस्वान का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री #संज्ञा से हुआ। विवाह के बाद संज्ञा ने वैवस्वत और यम (यमराज) नामक दो पुत्रों और यमुना(नदी) नामक एक पुत्री को जन्म दिया। यही विवस्वान यानि सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु कहलाये। वैवस्वत मनु के नेतृत्व में त्रिविष्टप अर्थात तिब्बत या देवल...

सूर्य वंश का संक्षिप्त परिचय

मत्स्य पुराण में उल्ले‍ख है कि सत्यव्रत नाम के राजा एक दिन कृतमाला नदी में जल से तर्पण कर रहे थे। उस समय उनकी अंजुलि में एक छोटी सी मछली आ गई। सत्यव्रत ने मछली को नदी में डाल दिया तो मछली ने कहा कि इस जल में बड़े जीव जंतु मुझे खा जाएंगे। यह सुनकर राजा ने मछली को फिर जल से निकाल लिया और अपने कमंडल में रख लिया और आश्रम ले आए। रात भर में वह मछली बढ़ गई। तब राजा ने उसे बड़े मटके में डाल दिया। मटके में भी वह बढ़ गई तो उसे तालाब में डाल दिया अंत में सत्यव्रत ने जान लिया कि यह कोई मामूली मछली नहीं जरूर इसमें कुछ बात है तब उन्होंने ले जाकर समुद्र में डाल दिया। समुद्र में डालते समय मछली ने कहा कि समुद्र में मगर रहते हैं वहां मत छोड़िए, लेकिन राजा ने हाथ जोड़कर कहा कि आप मुझे कोई मामूली मछली नहीं जान पड़ती है आपका आकार तो अप्रत्याशित तेजी से बढ़ रहा है बताएं कि आप कौन हैं।तब मछली रूप में भगवान विष्णु ने प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन प्रलय (अधिक वर्षा से) के कारण पृथ्वी समुद्र में डूब जाएगी। तब मेरी प्रेरणा से तुम एक बहुत बड़ी नौका बनाओ औ जब प्रलय शुरू हो तो तुम सप्त ऋषियों सहित सभी प्राणियो...

कत्यूरी राजवंश

कत्यूरी राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक मध्ययुगीन राजवंश था। इस राजवंश के बारे में में माना जाता है कि वे अयोध्या के शालिवाहन शासक के वंशज हैं और इसलिए वे सूर्यवंशी हैं। किन्तु, बहुत से इतिहासकार उन्हें कुनिन्दा शासकों से जोड़ते हैं तथा कुछ इतिहासकार उन्हें खस मूल से भी जोड़ते है, जिनका कुमाऊँ क्षेत्र पर ६ठीं से ११वीं सदी तक शासन था। कत्यूरी राजाओं ने 'गिरीराज चक्रचूड़ामणि' की उपाधि धारण की थी। उनकी पहली राजधानी जोशीमठ में थी, जो जल्द ही कार्तिकेयपुर में स्थानान्तरित कर दी गई थी। कत्यूरी राजा भी शक वंशावली के माने जाते हैं, जैसे राजा शालिवाहन, को भी शक वंश से माना जाता है। किन्तु, बद्री दत्त पाण्डेय जैसे इतिहासकारों का मानना है कि कत्यूरी, अयोध्या से आए थे। उन्होंने अपने राज्य को 'कूर्मांचल' कहा, अर्थात 'कूर्म की भूमि'। कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था, जिससे इस स्थान को इसका वर्तमान नाम, कुमाऊँ मिला। कत्युरी राजा का कुलदेवता स्वामी कार्तिकेय (मोहन्याल) नेपाल के बोगटान राज्य मे विराजमान है। कत्यूरी वंश के संस्थापक वसंतदेव थे. उत्पत्ति कत्यूरी वंश की...

कत्यूरी राजवंश: उत्तराखण्ड का शक्तिशाली साम्राज्य

"> a>कत्यूरी राजवंश ने उत्तराखण्ड पर लगभग तीन शताब्दियों तक एकछत्र राज किया. कत्यूरी राजवंश की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने अजेय मानी जाने वाली मगध की विजयवाहिनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. (Katyuri Dynasty of Uttarakhand) कत्यूरी राजवंश की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में उभरने का कोई प्रमाणिक लेखा-जोखा नहीं मिलता है. यह इतिहासकारों के लिए अभी शोध का विषय ही है. इस सम्बन्ध में मिलने वाले अभिलेखों से कत्यूरी शासकों का परिचय तो मिलता है लेकिन इसके काल निर्धारण में सहायता नहीं करते. इसी वजह से कत्यूरी शासन के कालखंड को लेकर इतिहासकारों में मतभेद बने हुए हैं. कहा जाता है कि कत्यूरी शासक अयोध्या के सूर्यवंशियों के वंशज थे, हालाँकि इसका भी सुस्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता. कत्यूरों ने स्थानीय खश शासकों को पराजित करके यहां अपना साम्राज्य स्थापित किया था. इतिहासकारों का मानना है कि इसके प्रथम शासक प्रतापी राजा ललित सूरदेव हुए. ललित सूरदेव से लेकर वीरदेव तक कत्यूरों की 13 पीढ़ियों ने उत्तराखण्ड में शासन किया, हालाँकि इसका क्रमबद्ध इत...

हरिहरपुर स्टेट कत्यूरी सूर्यवंश पाल राजवंश की वंशावली

महुली के नवें राजा महाराज दीप पाल्य देव की दो शादी हुयी थी छोटी रानी से मर्दन पाल हुए और बड़ी रानी से करण पाल हुये मर्दन पाल छोटी रानी से पैदा होने के बाद भी बड़े पुत्र हुये करण पाल बड़ी रानी से पैदा होने के उपरांत छोटे हुयी आपस में उत्तराधिकार में महुली राज्य का बटवारा 1607 ईस्वी में हुआ जिसमे मर्दन पाल को राजा की उपाधि और तथा करण पाल मर्दन पाल के बराबर 75 गांव का राज़्य हरिहरपुर स्वतन्त्र रूप स से प्राप्त हुआ तथा कुँवर एवं बाबु की उपाधि मिली आगे हरिहरपुर में करण पाल के वंसजो में बटवारा होने के कारन 12 कोट में बट गया जिसमे बेलदुहा बेलवन , सींकरी ,मैनसिर , भक्ता , कोहना, हरिहरपुर ग्राम या नगरों में पाल राजवंश के परिवार 12 कोट में रहने लगे इसमें एक शाखा राय कन्हैया बक्स बहादुर पाल की थी इनके तीन पुत्र हुए जगत बहादुर पाल शक्त बहादुर लोक , नरेंद्र बहादुर पाल शक्त बहादुर पाल 1857 की क्रान्ति में बागी हो के शाहीद हो गए थे जगत बहादुर पाल वशजों में दान बहादुर पाल महादेव पाल हरिहर प्रसाद पाल भागवत पाल बांके ...

हरिहरपुर स्टेट राजा या वरिष्ठ

कत्युर - सालिवाहन देव संजयदेव हरितहरी देव ब्रम्हदेव सकदेव ब्रजदेव विक्रमाजीत धर्मपाल सारंगधर निलयपाल भोजराज तिनयपाल भोजराजदेव समसी देव असल देव असुकदेव सारंगदेव नाजदेव कमजायदेव सालिनकुल देव गणपतिदेव जयसिंघदेव संकेश्वरदेव सनेस्वरदेव क्रिसिध्यादेव विधिराजदेव पृथिवेसवरदेव बालकदेव असंतिदेव बासन्तीदेव कटारमल देव सीतादेव सिंधदेव किनादेव रणकिनदेव मिलरेदेव बज्रभाहुदेव गौरदेव सांवलदेव इतिनराजदेव तेलंगराजदेव उदछयाशीलादेव प्रीतमदेव धामदेव ब्रम्हदेव त्रिलोकपाल अस्कोट - अभय पाल महुली -महाराजा अलख देव (1305-1342 ) :-- राजा अलखदेव 1281 में जन्मे, प्रथम राजा थे। सम्राट ब्रह्म देव के परपोते, उन्होंने उत्तर-पूर्वी यूपी के मैदानों में एक सेना का नेतृत्व किया और स्थानीय आदिवासी राजभर राजा को एक क्रूर युद्ध में शामिल किया, जिसमें अलख देव, उनके भाई तिलक देव और उनकी सूर्यवंशी राजपूत सेना विजयी हुई। अलख देव ने 1305 में महुली गाँव में बस्ती (गोरखपुर से 100 किमी) से 32 किलोमीटर की दूरी पर अपनी राजधानी स्थापित की। महसों-महुली के सामंती राज्य ने 14 कोस (47 किलोमीटर) लंबा और कई सौ गांवों क...

Ghandi and mahatma : gorkhpur district eastern up 1921 on Gyan bahadur pal dev

हरिहर पुर कत्यूरी सूर्यवश पाल राजवंस वरिष्ठ

हरिहरपुर स्टेट (बेलदुहा बेलवां ) कुंवर करण पाल्य देव कुँवर राय कन्हैया बक्स पाल्य देव कुँवर जगत बहादुर पाल्य देव कुँवर हरिहर प्रसाद पाल्य देव कुंवर ज्ञान बहादुर पाल्य देव कुंवर पटेश्वरी प्रसाद पाल्य देव कुँवर गजपति प्रसाद पाल्य देव वर्तमान में कुंवर राजेंद्र बहादुर पाल्य देव