सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐतिहासिक कत्यूरी राजवंश प्रभु श्री राम की मुख्य शाखा

  कत्यूरी शासन 2500 वर्ष पूर्व से 700 ईस्वी तक रहता है कत्यूरी राजाओं की राजधानी पहले जोशीमठ थी बाद में कार्तिकेयपुर। उस समय कहा जाता है, कि उनका साम्राज्य सिक्किम से लेकर काबुल तक था। दिल्ली रोहिलखंड आदि प्रांत में भी कत्यूरी राज्य शासन की सीमा के अंदर आते थे।  इतिहासकार अलेक्जेंडर कनिंघम ने भी इसका अपनी पुस्तक में जिक्र किया है। कत्युरी क्षेत्र ने प्रसिद्धि चंद राजाओं के काल में पाई। महाभारत में यह लिखा है, कि जब युधिष्ठिर महाराज ने अपने प्रतापी भाई भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव को विजय के लिए भेजा तो उस समय उनका युद्ध यहां पर कई जाति के क्षत्रियों से हुआ था। और वे लोग राजसूय यज्ञ में नजराना लेकर गए थे। कत्यूरी सम्राट शालिवाहन:- लगभग 3000 वर्ष पूर्व शालिवाहन नामक राजा कुमाऊँ में आए। वे कत्यूरियों के मूल पुरुष थे। पहले उनकी राजधानी जोशीमठ के आसपास थी।  राजा शालिवाहन अयोध्या के सूर्यवंशी राजपूत थे। अस्कोट जो कि वर्तमान में पिथौरागढ़ में स्थित है, खानदान के राजबार लोग, उनके वंशज है, कहते हैं कि वह अयोध्या से आए थे और कत्यूर में बसे।  कत्युरी राजा कार्तिकेयपुर से गढ़वाल का ...

Rajvar of uku

 After its conquest by the Rajwar of Ukko Bhartpal in the year 1364, Pithoragarh was for the whole of the remaining 14th century by the three generation of Pals and the kingdom extended from Pithoragarh to Askot. According to a tamrapatra dating back to 1420 the Pal dynasty was uprooted by the Brahm dynasty of Nepal but subsequently following the death of Gyan Chand in a conflict with Kshetra Pal, the Pal supre- macy was restored. It is believed that Bhartichand, an ancestor of Gyan Chand, had replaced bums, the ruler of Pithoragarh, after defeating them in 1445. In 16th century the chand dynasty again took control over Pithoragarh town and in 1790 built a new fort on the hill where the present Girls Inter College is situated.